Rahat indori shayari || new shayari ||
Hindi translet :
अगार खिलफ हो तो होने दो , जान थोडी हे ! ये सब धुवा हे, आसमन थोडी हे !! लगेगी आँग तो आयेंगे, कै जदमे! याहा सिरफ हमरा मकान, थोडी ना है !! हमारे मूह से जो निकले , वही सदाकत हे! हमरी मुह मैं तुमहारी जान, थोडी ना हे !! मे जाणता हू , दुश्मन भी कम नाही ! लेकिन हमारी तराह हटेली पे जान, थोडी हे !! जो आज साहिबे मसालत हे वो, कल न होंगे! किराई दार हे , जक्ति मकान थोड़ी ना हे !! सभी का खूंन शमिल हें , याहा की मिट्ठी मे ! कीसी के बाप का हिंदुस्तान, थोडी ना हे !!
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Agar khilaf ho hone do , Jan thodi he !
Ye sab dhuva he , aasman thodi he !!
Lagegi aag to aayenge, kai jadme !
Yaha sirf hamara makan , thodi na hai !!
Hamare muh se jo nikale, vahi sadakat he !
Hamari muh me tumhari jahan, thodi na he !!
Main janta hu dushaman bhi kam nhi !
Lekin hamari tarah hateli pe jan ,thodi he !!
Jo aaj sahibe maslat he , kal nhi honge !
Kirayedar he, jakti makan thodi na he !!
Sabhi ka khoon he shamil, yaha ki mitthi me !
Kisi ke bap ka hindustan , thodi na he ||
अगार खिलफ हो तो होने दो , जान थोडी हे ! ये सब धुवा हे, आसमन थोडी हे !! लगेगी आँग तो आयेंगे, कै जदमे! याहा सिरफ हमरा मकान, थोडी ना है !! हमारे मूह से जो निकले , वही सदाकत हे! हमरी मुह मैं तुमहारी जान, थोडी ना हे !! मे जाणता हू , दुश्मन भी कम नाही ! लेकिन हमारी तराह हटेली पे जान, थोडी हे !! जो आज साहिबे मसालत हे वो, कल न होंगे! किराई दार हे , जक्ति मकान थोड़ी ना हे !! सभी का खूंन शमिल हें , याहा की मिट्ठी मे ! कीसी के बाप का हिंदुस्तान, थोडी ना हे !!
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