Mirza garib ki shayri | Galib ke sher

Mirza galib ke sher || गालिब के शेर



👉तोड़ना टूटे हुये दिल का बुरा होता है.

जिस का कोई नहीं उस का तो ख़ुदा होता है.

माँग कर तुम से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहीं,

किस का माँगी हुई दौलत से भला होता है.

लोग नाहक किसी मजबूर को कहते हैं बुरा,

आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है.

क्यों "मुनिर" अपनी तबाही का ये कैसा शिकवा,

जितना तक़दीर में लिखा है अदा होता है.
             
💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜🙏💜💜💜💜💜💜💜



👉लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम

भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम

एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम

एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम

बन गया क़ातिल मेरे लिये तो अपनी ही नज़रों का दाम

सब से बड़ा है नाम ख़ुदा का उस के बाद है मेरा नाम.
   
🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🙏🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤



👉लोग कहते है वक़्त हर ज़ख़्म भर देता है,

मगर किताबों पर धूल जम जाने से कहानी बदला नहीं करती !



👉सच को तमीज़ ही नहीं, बात करने की..
झूठ को देखो, कितना मीठा बोलता है..

👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

Post a Comment

0 Comments